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विकास बनाम विस्थापन: अठूरवाला में संघर्ष समिति का धरना 14 वें दिन भी जारी।

कोई भी परियोजना तभी सफल होती है जब उसमें प्रभावित लोगों की सहमति और न्याय सुनिश्चित हो। ब्लॉक प्रमुख गौरव चौधरी

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डोईवाला (राजेंद्र वर्मा):
अठूरवाला में भूमि अधिग्रहण को लेकर शुरू हुआ विवाद अब “विकास बनाम विस्थापन” की बहस का केंद्र बन गया है। संघर्ष समिति का धरना रविवार को 14वें दिन भी जारी रहा, जिसमें ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि वे विकास कार्यों का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन विकास की कीमत पर उनकी पीढ़ियों का भविष्य दांव पर नहीं लग सकता।

धरना स्थल पर पहुंचे ब्लॉक प्रमुख गौरव चौधरी ने कहा कि कोई भी परियोजना तभी सफल होती है जब उसमें प्रभावित लोगों की सहमति और न्याय सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को उचित मुआवज़ा दिए बगैर अधिग्रहण का कदम उन्हें विस्थापन की ओर धकेल देगा। “विकास ज़रूरी है, लेकिन उसकी नींव अन्याय पर नहीं रखी जानी चाहिए,” उन्होंने कहा। उन्होंने प्रशासन को सलाह दी कि ग्रामीणों से संवाद बढ़ाकर समाधान तलाशा जाए।

संघर्ष समिति के अध्यक्ष मनजीत सजवान ने कहा कि कम सर्किल रेट पर भूमि अधिग्रहण का प्रयास न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि कई परिवारों को जीविका के संकट में डाल देगा। उन्होंने कहा, “विकास का मतलब लोगों का जीवन बेहतर बनाना है, न कि उन्हें अनिश्चितता में धकेलना।” सजवान ने चेताया कि यदि उचित मुआवज़ा नहीं मिला तो विस्थापन की समस्या बड़े सामाजिक असर पैदा कर सकती है।

धरना स्थल पर बादल सिंह सजवान, खेम सिंह सजवान, आशा देवी, सुशीला देवी, विमला देवी, कमला देवी समेत ग्रामीणों ने भी कहा कि मौजूदा प्रस्तावित दरें उनके लिए व्यवहारिक नहीं हैं। उनका कहना है कि यदि जमीन ही छिन गई और बदले में उचित मूल्य नहीं मिला, तो विकास का लाभ उनसे हमेशा दूर ही रह जाएगा।

ग्रामीणों का यह आंदोलन अब सिर्फ मुआवज़े की मांग नहीं, बल्कि उस विकास मॉडल पर सवाल बन रहा है जिसमें लोग अपने ही गांव में असुरक्षित महसूस करने लगते हैं।

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