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उत्तराखंड में साहित्य की गौरवशाली परंपरा” विषय पर गहन चर्चा और विचार-विमर्श।

25 अक्टूबर को महोत्सव का औपचारिक उद्घाटन

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डोईवाला 24 अक्टूबर (राजेंद्र): लेखक गाँव, देहरादून एवं राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ( एन बी टी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित “साहित्य, संस्कृति एवं कला महोत्सव” के दूसरे दिन का आयोजन अत्यंत सफलता के साथ सम्पन्न हुआ। इस ऐतिहासिक आयोजन का मुख्य उद्देश्य हिंदी एवं उत्तराखंड की स्थानीय भाषाओं की समृद्ध धरोहर को पुनर्जीवित करना और नई पीढ़ी को इस सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ना है। महोत्सव के दूसरे दिन के कार्यक्रमों में निम्नलिखित सत्र आयोजित किए गए। प्रथम सत्र सुबह 10 बजे। “उत्तराखंड में साहित्य की गौरवशाली परंपरा” विषय पर गहन चर्चा और विचार-विमर्श हुआ, जिसमें क्षेत्र के प्रमुख साहित्यकारों ने उत्तराखंड की समृद्ध साहित्यिक विरासत और उसके विकास पर अपने विचार साझा किए। द्वितीय सत्र दोपहर 2:30 बजे। “गढ़वाली-कुमाऊँनी कवि सम्मेलन” का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय कवियों ने अपनी रचनाओं से समां बांधा और क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दिया। अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत कला एवं साहित्य महोत्सव के मुख्य संरक्षक, पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस गाँव की स्थापना एवं आयोजन की प्रेरणा महान कवि एवं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिली है। वाजपेयी जी की कविताओं ने न केवल साहित्यिक जगत में, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी एक अमिट छाप छोड़ी है। डॉ. निशंक ने कहा, “युवा लेखक हवा बनकर आज और कल को संवारते हैं। लेखन से प्रतिबद्धता और आत्मविश्वास बढ़ता है। लेखन के माध्यम से हम अपने आप से बातें करते हैं, अपनी अंतरात्मा को समझते हैं और आत्मविश्लेषण करते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि लेखक गाँव की स्थापना का एक प्रमुख कारण यह है कि “लेखन हमारे जीवन से निराशा और निष्क्रियता को समाप्त करके हमें आत्मबल प्रदान करता है।”.

25 अक्टूबर को महोत्सव का औपचारिक उद्घाटन भारत सत्र में पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद एवं उत्तराखंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। डॉ निशंक की प्रेरणा से स्थापित यह महोत्सव वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने की तरफ़ अग्रसर है जिसमें 50 से अधिक देशों के हज़ारों लोग भाग लेने के लिए देहरादून पहुंचे हैं। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड की संस्कृति, साहित्य, और कला की धरोहर का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। प्रेस को अपने संदेश में डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सभी साहित्यप्रेमियों, कवियों, लेखकों, और सांस्कृतिक प्रेमियों को इस भव्य आयोजन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है और इसे ऐतिहासिक बनाने के लिए सभी का स्वागत किया है। verma doi news no 2

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