कक्षा 10 के छात्रों ने ड्रेस कोड विवाद पर साफ किया पूरा घटनाक्रम।
डोईवाला (राजेंद्र वर्मा):
ड्रेस कोड विवाद पर सोशल मीडिया में उड़ी अफ़वाहों के बीच कक्षा 10 के छात्रों ने सामने आकर वास्तविकता स्पष्ट कर दी है। छात्रों का कहना है कि बाहर फैल रही बातें बढ़ा–चढ़ाकर पेश की गई हैं, जबकि सच बेहद साधारण है।
छात्रा सना परवीन ने भी पुष्टि की कि केवल हल्का-फुल्का प्रतीकात्मक दंड ही दिया गया था। कुछ बच्चे ड्रेस कोड ठीक से नहीं पहने थे। नियम याद दिलाने के लिए बस 10 उठक–बैठक हुईं। किसी पर कोई कठोर दंड नहीं दिया गया।
सिमरन चौहान ने कहा कि शिक्षक कई बार ड्रेस कोड के बारे में समझा चुके थे। इस बार भी वही हुआ। लेकिन बाहर 1000 उठक–बैठक की मनगढ़ंत कहानी फैलाकर विवाद खड़ा किया गया।
वलिया खान ने भी सोशल मीडिया पर चल रही बातों को पूरी तरह अफ़वाह बताया। उन्होंने कहा, वास्तविकता यह है कि किसी भी कक्षा में 10–20 से ज्यादा उठक–बैठक की बात सामने नहीं आई। कठोर कार्रवाई जैसी कोई बात ही नहीं थी।
छात्रों के इन स्पष्ट बयानों के बाद यह साफ हो गया है कि अफ़वाहों ने ही घटना को बड़ा रूप दिया, जबकि विद्यालय में हुआ मामला बेहद सामान्य अनुशासनात्मक प्रक्रिया का हिस्सा था। छात्रों की जुबानी सामने आए इन तथ्यों ने पूरे विवाद की वास्तविक तस्वीर रख दी है।
ड्रेस कोड विवाद पर खंड शिक्षा अधिकारी अजीत भंडारी का स्पष्टीकरण, कक्षा के बच्चों से भी लिए गए बयान।
(डोईवाला):
क्षेत्र के एक विद्यालय में ड्रेस कोड को लेकर हुए विवाद पर खंड शिक्षा अधिकारी अजीत भंडारी ने कहा कि सोशल मीडिया पर फैलाई गई जानकारी पूरी तरह गलत और बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत की गई है। उन्होंने बताया कि विभाग को मिली रिपोर्ट और स्कूल में की गई पूछताछ में कठोर दंड देने जैसी कोई बात सामने नहीं आई।
अजीत भंडारी ने बताया कि घटना की जांच के दौरान कक्षा के बच्चों से भी बयान लिए गए, जिसमें बच्चों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उनसे केवल 10-20 उठक-बैठक ही करवाई गई थीं और 1000 उठक-बैठक जैसी बात पूरी तरह अफवाह है। बच्चों ने यह भी बताया कि शिक्षक ने किसी के साथ न कठोर व्यवहार किया और न ही कोई अनुचित दंड दिया।
खंड शिक्षा अधिकारी ने कहा कि विद्यालयों में अनुशासन जरूरी है, लेकिन किसी भी प्रकार की अत्यधिक या अनुचित कार्रवाई स्वीकार नहीं की जाएगी। यदि जांच में कोई तथ्य मिलता, तो विभाग तुरंत कार्रवाई करता। उन्होंने यह भी बताया कि विद्यालय पिछले कुछ समय से ड्रेस कोड के पालन को लेकर बच्चों को लगातार निर्देश दे रहा था।
उन्होंने सभी विद्यालयों को निर्देश दिया है कि अनुशासनात्मक कार्रवाई हमेशा नियमों के अनुसार की जाए और बच्चों के साथ संवेदनशील व्यवहार रखा जाए। अभिभावकों से अपील की गई है कि वे सोशल मीडिया पर वायरल किसी भी अपुष्ट जानकारी पर भरोसा न करें और सत्यापित सूचना के लिए विद्यालय या शिक्षा विभाग से ही संपर्क करे।
उठक–बैठक की अफ़वाह झूठी, सिर्फ हल्का-फुल्का दंड दिया गया। प्रधानाचार्य
विद्यालय की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश, प्रधानाचार्य ने किया खंडन।
(डोईवाला):
पब्लिक इंटर कॉलेज में 1000 उठक–बैठक करवाए जाने की वायरल खबर को विद्यालय प्रधानाचार्य अंकित डोबरियाल ने पूरी तरह झूठा और भ्रामक बताया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने बिना तथ्य जाँचे सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाकर विद्यालय की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है, जिसका विद्यालय प्रशासन कड़े शब्दों में खंडन करता है।
प्रधानाचार्य डोबरियाल ने बताया कि विद्यालय में निर्धारित ड्रेस पहनकर आना अनिवार्य है और इस संबंध में बच्चों को पहले भी कई बार समझाया जा चुका था। कुछ छात्र लगातार बिना ड्रेस आए थे, जिनको शिक्षकों ने मात्र हल्की-फुल्की अनुशासनात्मक समझाइश देते 10 से 20 उठक–बैठक करवाए थे।
उन्होंने कहा कि इस छोटी-सी अनुशासनात्मक कार्रवाई को 1000 उठक–बैठक बनाकर फैलाना पूरी तरह गलत है। ऐसा कर विद्यालय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है, जिसे हम तथ्यात्मक रूप से खारिज करते हैं।
प्रधानाचार्य ने बताया कि विद्यालय का माहौल पूरी तरह सामान्य है और किसी भी छात्र के साथ कठोर व्यवहार नहीं किया गया। विद्यालय केवल अनुशासन को लेकर जागरूकता बढ़ाता है, किसी बच्चे पर दबाव नहीं डाला जाता I
विद्यालय में उठक बैठक और ड्रेस कोड को लेकर सोशल मीडिया पर जो बातें फैलाई जा रही हैं, वे पूरी तरह निराधार हैं। विद्यालय ने किसी भी छात्र को कठोर दंड नहीं दिया है। जिन बच्चों की यूनिफॉर्म निर्धारित नियमों के अनुसार नहीं थी, उन्हें केवल हल्का-फुल्का व्यायाम कराकर नियमों का महत्व समझाया गया था। 1000 उठक-बैठक जैसी बातें बिल्कुल गलत हैं। विद्यालय में अनुशासन और बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए ही सारी कार्रवाई की गई है। विद्यालय की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वाली गलत जानकारी का मैं पूरी तरह खंडन करता हूँ।
अवधेश सेमवाल,व्यायाम अध्यापक
उठक–बैठक की अफ़वाह की पोल खुली, पब्लिक इंटर कॉलेज में असल मुद्दा निकला ड्रेस कोड।
जांच में शारीरिक दंड का आरोप फर्जी,स्कूल एक महीने से दे रहा था ड्रेस कोड के निर्देश, केवल हल्का–फुल्का दंड दिया गया
डोईवाला (राजेंद्र वर्मा):
पब्लिक इंटर कॉलेज में छात्रों को 1000 उठक–बैठक कराने की कथित सज़ा का मामला अफ़वाह साबित हुआ है। शुक्रवार को फैली इस खबर ने अभिभावकों में भारी नाराज़गी और भ्रम की स्थिति पैदा कर दी थी, लेकिन शिक्षा विभाग की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि स्कूल प्रबंधन ने ऐसा कोई भी कठोर दंड न दिया था और न ही ऐसी कोई कार्रवाई का आदेश जारी हुआ था।
विद्यालय प्रशासन के अनुसार, स्कूल करीब एक महीने से छात्रों को नियमित रूप से निर्धारित ड्रेस कोड में आने का निर्देश दे रहा था, लेकिन कई छात्र लगातार इसका पालन नहीं कर रहे थे। अनुशासन बनाए रखने के लिए स्कूल ने सिर्फ हल्का–फुल्का दंड दिया था, जिसे कुछ लोगों ने बढ़ा-चढ़ाकर 1000 उठक–बैठक की सज़ा के रूप में पेश कर दिया। यही गलत सूचना तेज़ी से फैलकर अफ़वाह में बदल गई।
ड्रेस कोड को लेकर हुई गलतफहमी के चलते कुछ अभिभावक स्कूल पहुंच गए और बिना तथ्यों की जांच किए विवाद बढ़ गया। मामला सोशल मीडिया पर पहुंचते ही बातें तूल पकड़ने लगीं और स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
विद्यालय प्रबंधन के मनोज नौटियाल ने स्पष्ट कहा, “स्कूल में शारीरिक दंड का कोई प्रावधान नहीं है। बच्चों को केवल अनुशासन के तहत ड्रेस कोड का पालन करने की सलाह दी गई थी। 1000 उठक–बैठक की बात पूरी तरह निराधार और भ्रम पर आधारित है।”
शिक्षा विभाग ने भी मामले में स्कूल से रिपोर्ट तलब की है। विभागीय अधिकारियों ने जांच के बाद पुष्टि की कि पूरा विवाद केवल ड्रेस कोड से संबंधित गलतफहमी था और शारीरिक दंड का आरोप पूरी तरह गलत पाया गया।
विद्यालय प्रशासन ने अभिभावकों से अपील की है कि वे अफवाहों से दूर रहें और किसी भी जानकारी के लिए सीधे स्कूल से संपर्क करें। स्कूल ने आश्वस्त किया कि छात्रों की सुरक्षा, सम्मान और हित सर्वोपरि हैं तथा संवाद और सहयोग के माध्यम से ही हर मामले का समाधान सुनिश्चित किया जाएगा।



