लच्छीवाला रेंज में तकनीक आधारित निगरानी पर जोर—मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने को वन विभाग की नई पहल।
ग्रामीणों को बताया जा रहा अलर्ट सिस्टम, ड्रोन निगरानी और वन्यमार्ग चिह्नित करने की प्रक्रिया।
डोईवाला (राजेंद्र वर्मा):
लच्छीवाला रेंज वन विभाग ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए जागरूकता अभियान में इस बार तकनीक को केंद्र में रखा है। वन विभाग अब संघर्ष को “पहले से रोकने” की नीति पर काम कर रहा है, जिसके तहत ड्रोन सर्वे, निगरानी तंत्र और अलर्ट सिस्टम की जानकारी ग्रामीणों तक पहुंचाई जा रही है।
अभियान के दौरान वन कर्मियों ने ग्रामीणों को बताया कि विभाग ने कई संवेदनशील क्षेत्रों में वन्यजीवों की आवाजाही की नियमित निगरानी शुरू कर दी है। ड्रोन से जंगल के उन हिस्सों की पहचान की जा रही है, जहां हाथी, तेंदुआ या अन्य वन्यजीव अधिक सक्रिय रहते हैं। साथ ही गांवों को ऐसे अलर्ट सिस्टम से जोड़े जाने की तैयारी है, जिसके जरिए किसी भी वन्यजीव की मौजूदगी की सूचना तुरंत आसपास के लोगों तक पहुंच सके।
टीम ने यह भी समझाया कि जंगल के किनारे भोजन के अवशेष, कूड़ा या पका हुआ फल-सब्जी बाहर न छोड़ें, क्योंकि यह वन्यजीवों को आकर्षित कर सकता है। मार्गों को पहचाना जाए, रात में अकेले जोखिम वाले इलाकों में न जाएं—ऐसे व्यवहारिक उपाय भी ग्रामीणों को बताए गए।
वन क्षेत्राधिकारी ने कहा कि “तकनीक और जागरूकता का संयोजन संघर्ष रोकने में सबसे प्रभावी साबित होगा।” उन्होंने बताया कि विभाग ऐसा तंत्र विकसित कर रहा है जिसमें खतरे की जानकारी लोगों को पहले से मिल सके, जिससे घटनाओं को काफी हद तक टाला जा सके।
वन विभाग का मानना है कि तकनीकी निगरानी, समय पर सूचना और सामुदायिक सहभागिता से मानव-वन्यजीव संघर्ष को अधिक प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।



