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सेबुवाला गांव में बरसात से हुई थी तबाही, प्रभावित परिवारों को राहत देने की मांग ।

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डोईवाला देहरादून (राजेंद्र वर्मा):
परवादून कांग्रेस जिलाध्यक्ष मोहित उनियाल ने सिंधवाल पंचायत के सेबुवाला गांव में भारी बरसात से हुई तबाही का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर स्थानीय निवासियों से बातचीत की और उनकी समस्याओं की जानकारी ली।

मोहित उनियाल ने कहा कि गांव में हुए नुकसान की भरपाई व राहत कार्यों को शीघ्र शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि प्रभावित परिवारों को तुरंत सहायता प्रदान की जाए ताकि वे जल्द सामान्य जीवन में लौट सकें।

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से लगभग 35 किलोमीटर दूर सेबुवाला गांव, रायपुर ब्लॉक की सिंधवाल ग्राम पंचायत में आता है। सूर्याधार झील के आगे स्थित यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और संभावनाओं के लिए जाना जाता रहा है। तीनों ओर हरे-भरे पहाड़ों से घिरा सेबुवाला कभी जाखन नदी की सुंदरता से खिलता था, लेकिन अब वही नदी गांव के लिए विनाश का कारण बन गई है।

उनियाल ने कहा कि यह गांव आर्गेनिक फार्मिंग, इको टूरिज्म और मछली पालन की अपार संभावनाओं से भरा रहा है, लेकिन हालिया आपदा ने सबकुछ नष्ट कर दिया। “हम पहले भी कई बार इस गांव में आए हैं। पिछली बार धान की पौध लगाने के अवसर पर यहां पहुंचे थे। मनवाल दंपति ने इस भूमि को बहुत सहेजकर रखा था, परंतु अब यह पूरा इलाका तबाह हो चुका है। मनवाल परिवार की 10 बीघा से ज्यादा खेती, जाखन नदी ने खराब कर दी व उनका मकान पूरी तरह से तबाह हो गया । देवेंद्र मनवाल व मेहर सिंह मनवाल परिवार इस समय गहरे संकट में है ।

परवादून कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने मांग की कि मनवाल परिवार को तत्काल उचित मुआवजा व पुनर्वास प्रदान किया जाए तथा उनकी भूमि को बाढ़ से बचाने के लिए पुश्ता निर्माण कार्य तत्काल शुरू किया जाए।

उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि देहरादून जैसे क्षेत्र के पास बसे गांवों से भी पलायन नहीं रुक पा रहा है। जो परिवार अपने गांवों में रहकर खेती-बाड़ी और हरियाली को जिंदा रखे हुए हैं, उन्हें सरकार द्वारा हर संभव सुरक्षा और सहयोग दिया जाना चाहिए।
“सेबुवाला गांव को फिर से उसके पुराने स्वरूप और अस्तित्व में लाना बेहद आवश्यक है। कांग्रेस पार्टी प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है और प्रशासन से शीघ्र ठोस कदम उठाने की मांग करती है।”
उनियाल ने कहा की इठारना से कुखुई मार्ग निर्माण में डंपिंग जोन न बनाकर पिछले कई सालों से पहाड़ तुड़ान से एकत्रित माल जाखन नदी मे डाला जा रहा है,जिससे झीलों का निर्माण हुआ था । ये भी आपदा का बड़ा कारण है,जिसकी वजह से बरसात में नदी ने अपना रास्ता बदला व बड़ी तबाही हुई । सरकार द्वारा इस घटना की उचित जांच करके मार्ग निर्माण कंपनी व ठेकेदारों पर कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिये।

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