Blog

उत्तराखंड में मानसून और कांवड़ यात्रा के चलते कैसे होंगे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव।

मानसून के खतरनाक दिनों में चुनाव करवा कर जानबूझ कर प्रदेश की लाखों ग्रामीण जनता की जान जोखिम में डाल रही है धामी सरकार। मोहित उनियाल

खबर को सुनें

डोईवाला 1 जुलाई (राजेंद्र वर्मा):
प्रदेश की भाजपा सरकार मानसून के खतरनाक दिनों में चुनाव करवा कर जानबूझ कर प्रदेश की लाखों ग्रामीण जनता की जान जोखिम में डाल रही है वहीं दूसरी और कांवड़ यात्रा भी शुरू होने वाली है। जिसके चलते पूरे देश से लाखों की संख्या में शिव भक्त उत्तराखंड आते है। कांवड़ यात्रा में शासन प्रशासन व्यस्त हो जाता है। जुलाई माह में मानसून और कांवड़ यात्रा के चलते इसी स्थिति में सरकार चुनाव कैसे करा पाएगी। मानसून में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के निर्णय पर राज्य सरकार को जवाब देना होगा कि, त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के सात महीनों में वह चुनाव किन कारणों से नहीं करा पाई है।
पिछले दो दिनों से पहले चरण की बरसात में ही प्रदेश के हर इलाके का जन जीवन अस्त – व्यस्त हो गया है, किसी भी इलाके में सड़क मार्ग सुरक्षित नहीं हैं और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में कुछ लोगों ने आपदा के कहर में जान भी गंवाई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश भर में आज के दिन 108 सड़कें पूरी तरह से बंद हैं और 17 सड़कें आंशिक रूप से खुली हैं। खतरे की आशंका से सरकार ने चार धाम यात्रा बंद कर दी है और स्कूलों की छुट्टी कर दी है। ऐसे में राज्य सरकार का त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने का निर्णय समझ से परे है

Oplus_16777216
परवादून जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष मोहित उनियाल ने कहा कि 2 जुलाई से पंचायत चुनावों की नामांकन प्रक्रिया शुरू होनी है जो भारी बरसात के बीच में है । उन्होंने सरकार से सवाल पूछा कि, जुलाई के महीने उत्तराखंड में मानसून चरम पर होता है पिछले हर साल इस महीने कोई न कोई आपदा आई है ऐसे में सरकार जुलाई के महीने में निर्विघ्न चुनाव कराने की कल्पना कैसे कर रही है ?
राज्य में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल पिछले साल सितम्बर माह के अंत में समाप्त हो गया था। उत्तराखंड सहित हर पर्वतीय राज्य में सितम्बर से लेकर जून के सात महीने चुनाव करवाने के लिए सबसे अनुकूल होते हैं। फिर आखिर उसकी ऐसी क्या मजबूरी थी जो सरकार ने इन सुरक्षित महीनों में चुनाव न करवा कर चुनाव करवाने के लिए हर तरह से असुरक्षित जुलाई को ही चुना ?
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा पिछले साल अक्टूबर के महीने से समय पर पंचायत चुनावों को करवाने की मांग कर रहे थे परन्तु राज्य सरकार नगर निकाय व पंचायत चुनाव टालती रही। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार की मंशा हर हाल में पंचायत चुनाव टालना था। सरकार ने इसी नियत से एक बार 6 महीनों के लिए पंचायतों में प्रशासक बैठाए फिर यह कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार मई के महीने अध्यादेश के द्वारा पंचायतों में प्रशासकों का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाना चाहती थी। उन्होंने कहा कि उस नियम विरोधी अध्यादेश को राजभवन ने संवैधानिक और विधाई बाध्यताओं के कारण नहीं पास किया। इसलिए सरकार मजबूरी में उफनती बरसात में चुनाव करवाने को मजबूर है।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष उनियाल ने कहा कि, भारी बरसात में जब प्रदेश के अधिकांश सड़क मार्ग टूटे होंगे तो प्रत्याशी जिनमें पचास प्रतिशत महिलाएं हैं वे कैसे नामांकन कराने आएंगी और कैसे आपदा के समय प्रचार करेंगी ? उन्होंने कहा कि, चुनाव प्रक्रिया में हजारों प्रत्याशी, उनके समर्थक और कर्मचारी घरों से बाहर निकलते हैं क्या सरकार उनकी सुरक्षा की गारंटी लेगी ?
कांग्रेस पार्टी ने आशंका व्यक्त की कि, राज्य सरकार और भाजपा बरसात और भीषण परिस्थितियों का लाभ लेकर चुनावों को अपने पक्ष में करा सकती है।
Verma doi

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button