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ऋषिकेश के प्रणय व स्वर्णिम ने मॉस्को में किया भारत का नाम रोशन।

फोकस फिटनेस मॉडल’ ने दिलाई ऐतिहासिक जीत ।

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डोईवाला (राजेंद्र वर्मा):
ऋषिकेश के दो युवा खिलाड़ियों प्रणय पांथरी और स्वर्णिम रतूड़ी ने मॉस्को की वर्ल्ड रॉ पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में न सिर्फ पदक जीते, बल्कि यह भी दिखा दिया कि खेलों का भविष्य केवल ताकत नहीं, बल्कि प्रोसेस-ड्रिवन फिटनेस और मानसिक विज्ञान पर निर्भर है।

4 से 7 दिसंबर तक चली इस इंटरनेशनल चैंपियनशिप में 22 वर्षीय प्रणय ने स्वर्ण, जबकि 17 वर्षीय स्वर्णिम ने रजत पदक हासिल किया। जीत के बाद अंतरराष्ट्रीय कोचों ने भी उनके ‘‘फोकस फिटनेस अप्रोच’’ की तारीफ की, जिसमें माइंडसेट, रुटीन मैनेजमेंट और साइंस-बेस्ड ट्रेनिंग को मुख्य आधार बनाया गया था।

दोनों खिलाड़ियों का कहना है कि आज पावरलिफ्टिंग केवल मांसपेशियों का खेल नहीं रहा—यह फिजिकल + मेंटल प्रोसेस का कॉम्बिनेशन है। उन्होंने ब्रीदिंग टेक्निक्स, न्यूरो-फोकस वर्कआउट, स्ट्रक्चर्ड डाइट और डिसिप्लिन के जरिए खुद को इंटरनेशनल स्टेज की टेंशन के लिए तैयार किया।

एयरपोर्ट पर स्वागत के दौरान प्रणय ने बताया कि पूरे सीज़न में उन्होंने खुद पर ‘‘माइंड प्रेशर मैनेजमेंट’’ की स्पेशल ट्रेनिंग की। वहीं स्वर्णिम, जो वियतनाम, कजाखिस्तान, रूस सहित कई देशों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, कहते हैं कि इस बार उनकी तैयारी पूरी तरह ‘‘फोकस मोड’’ में थी—कम सोशल इंटरैक्शन, हाई रूटीन डिसिप्लिन और टारगेट-ओरिएंटेड वर्कआउट।

परिजनों ने भी माना कि नए दौर में खिलाड़ी तभी आगे बढ़ सकता है जब वह स्मार्ट ट्रेनिंग, वैज्ञानिक सोच और मानसिक स्वच्छता को अपनाए।

दोनों खिलाड़ियों ने युवाओं को संदेश दिया कि खेलों में ऊँचाइयाँ हासिल करने के लिए जिम ही काफी नहीं—सही रणनीति, मानसिक मजबूती, हेल्दी लाइफस्टाइल और नशामुक्त जीवन जरूरी है। अब दोनों अपनी अगली चैंपियनशिप से पहले अपने ‘‘फोकस फिटनेस मॉडल’’ को और अपग्रेड करने में जुट गए हैं।

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