जल स्रोतों के सतत प्रबंधन की दिशा में सभी की सहभागिता जरूरी।
भारत के 11 राज्यों से आए प्रतिभागियों को स्मृतिचिह्न एवं प्रमाण पत्र वितरित कर किया सम्मानित।

डोईवाला देहरादून अभय वर्मा (राजेंद्र वर्मा):
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के परिसर में हिंदू कुश हिमालय में लैंगिक समानता एवं समाजिक समावेशन आधारित स्प्रिंगशेड प्रबंधन विषय पर चार दिवसीय अन्तराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन अवसर पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने नेपाल, भूटान सहित भारत के 11 राज्यों से आए प्रतिभागियों को स्मृतिचिह्न एवं प्रमाण पत्र वितरित कर सम्मानित किया और इस सफल आयोजन के लिए आयोजकों का धन्यवाद किया।
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय द्वारा हिंदू कुश हिमालय में लैंगिक समानता एवं समाजिक समावेशन आधारित स्प्रिंगशेड प्रबंधन विषय पर चार दिवसीय अन्तराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (आईसीआईमोड) नेपाल और जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा के सयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान नेपाल, भूटान सहित भारत के नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, लद्दाख, जम्मू कश्मीर, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, असम, महाराष्ट्र राज्यों के 63 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हिंदू कुश हिमालय में प्राकृतिक जल स्रोतों (स्प्रिंग्स) की प्रणाली को समझने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण प्रदान करना था।इस अवसर पर उत्तराखंड की विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने प्रतिभागियों को स्प्रिंग पुनरुद्धार पर क्षमता निर्माण के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पानी की बचत के साथ-साथ हमें समाज को उसकी आपूर्ति पर भी ध्यान देना होगा। उत्तराखंड में स्प्रिंगशेड प्रबंधन के लिए हमें कई कदम उठाने होंगे। पहले, हमें स्प्रिंग्स और उनके आसपास के क्षेत्रों का सर्वेक्षण करना होगा और उनकी स्थिति का मूल्यांकन करना होगा। इसके बाद, हमें जल संचयन और जल सुरक्षा के लिए स्प्रिंग्स और उनके आसपास के क्षेत्रों का प्रबंधन करना होगा। इसके अलावा, हमें स्थानीय समुदायों विशेषकर महिलाओं को स्प्रिंगशेड प्रबंधन में शामिल करना होगा और उन्हें जल संचयन और जल सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करना होगा।
एसआरएचयू के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की सराहना की और कहा कि इस तरह की पहल को भविष्य में भी जारी रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे सामने जलवायु परिवर्तन, जल संकट, और सामाजिक असमानता जैसी कई चुनौतियां हैं। लेकिन हमारे पास इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सामूहिक शक्ति और संकल्प हैं। डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि संस्थान द्वारा विगत 28 वर्षो सेपेयजल एवं स्वच्छता के क्षेत्र में कई अभूतपूर्व कार्य किये गये हैं जिसमें हिमालय से सागर तक अभी तक 31 राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में पानी के संरक्षण, संवर्धन एवं कौशल विकास पर कार्य किया जा रहा है।
आईसीआईमोड नेपाल के सीनियर वाटरशेड मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट डॉ. संजीव बुचर ने प्रशिक्षण की रूपरेखा प्रस्तुत की। एसआरएचयू के सलाहकार प्रो. एचपी उनियाल ने कहा कि जल स्रोतों की गुणवत्ता में गिरावट चिंता का विषय बन गई है। उन्होंने जल स्रोतों के संरक्षण और स्प्रिंगशेड प्रबंधन की जानकारी दी।
एसआरएचयू के महानिदेशक डॉ. विजेंद्र डी. चौहान ने प्रतिभागियों और अतिथियों का स्वागत किया।
उन्होंने संस्थान के संस्थापक स्वामी राम और उनके सामाजिक विकास कार्यों पर प्रकाश डाला। बताया कि संस्थान ने उत्तराखंड के 550 से अधिक दूरस्थ गांवों में जल एवं स्वच्छता के क्षेत्र में विभिन्न योजनाएं संचालित की हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन 29 जनवरी को अतिरिक्त मुख्य सचिव व स्प्रिंग रिवर पुनरुद्धार प्राधिकरण के सीईओ आनंद वर्धन द्वारा किया गया।प्रतिभागियों को ईएसएचडब्लूएआर (ईश्वर) एप्लिकेशन के उपयोग की जानकारी दी गई साथ ही सौर पंपिंग सिस्टम, वर्षा जल संचयन प्रणाली, डायरेक्ट इंजेक्शन प्रणाली, 365-दिन वर्षा जल संचयन मॉडल, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीक का उपयोग की भी जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण सत्रों के दौरान प्रमुख विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें आईसीआईमोड नेपाल से डॉ संजीव बुचर, सुमन बिष्ट, योगेश बरोला, गोविंद बल्लभ पंत इंस्टिट्यूट से डॉ राजेश जोशी, डॉ. आई.डी.भट्ट, एसआरएचयू से प्रो. एच.पी. उनियाल, नितेश कौशिक, विवेक आनंद, अतुल उनियाल सहित अन्य विशेषज्ञ द्वारा प्रतिभागियों को गंभीरता पूर्वक जानकारी साझा की। इस मौके पर राजकुमार वर्मा, लखपत बिष्ट, सुजीत थपलियाल, करण नेगी, अभिषेक उनियाल, निधि, नरेश थपलियाल, शक्ति भट्ट, दीपक जोशी सहित विश्वविद्यालय के कई अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन गरिमा कपूर द्वारा किया गया। Verma doi